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मकर संक्रांति 2025 सूर्य की पहली किरण का महापर्व

मकर संक्रांति सनातन धर्म का प्रमुख त्योहार है, जिसे सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश करने के अवसर पर मनाया जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। यह त्योहार हर साल 14 या 15 जनवरी को आता है।

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मकर संक्रांति सनातन धर्म का प्रमुख त्योहार है, जिसे सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश करने के अवसर पर मनाया जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। यह त्योहार हर साल 14 या 15 जनवरी को आता है।

 

संक्रांति का अर्थ

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे "संक्रांति" कहते हैं। पूरे साल में कुल 12 संक्रांतियां होती हैं, लेकिन मकर संक्रांति सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है।

 

मकर संक्रांति का इतिहास और पौराणिक कथाएं

हिंदू धर्म के अनुसार, मकर संक्रांति का संबंध सूर्य और शनि के बीच है। इस दिन सूर्य देव धनु राशि छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जो शनि देव की राशि है। यह दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन से खरमास समाप्त होता है और सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन मां गंगा राजा भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए सागर में मिली थीं। इसलिए गंगा स्नान को अत्यधिक पुण्यदायक माना जाता है।

 

मकर संक्रांति के नाम और उत्सव भारत के विभिन्न क्षेत्रों में

मकर संक्रांति को भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग नामों से जाना जाता है।

  • पोंगल: तमिलनाडु में
  • उत्तरायण: गुजरात में
  • खिचड़ी: उत्तर भारत में
  • माघ बिहू: असम में
    इस दिन हर क्षेत्र में विशेष पकवान बनाए जाते हैं। तिल और गुड़ के लड्डू तथा खिचड़ी का वितरण भी शुभ माना जाता है।

 

मकर संक्रांति और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

मकर संक्रांति खगोलीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते हैं। उत्तरायण का अर्थ है दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। यह समय ऊर्जा और नई शुरुआत का प्रतीक है।

 

मकर संक्रांति कैसे मनाई जाती है?

  1. पवित्र स्नान: गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है।
  2. दान-पुण्य: तिल, गुड़, अन्न, वस्त्र और धन का दान किया जाता है।
  3. सूर्य पूजा: सूर्य देव को अर्घ्य देकर पूजा की जाती है।
  4. खेल और उत्सव: पतंगबाजी का आयोजन किया जाता है।

 

मकर संक्रांति के लाभ

  • पवित्र नदियों में स्नान से मनुष्य के पाप नष्ट होते हैं।
  • दान-पुण्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • यह दिन नई ऊर्जा और सकारात्मकता लाने का प्रतीक है।

 

मकर संक्रांति से जुड़ी मान्यताएं

  1. गंगा स्नान का महत्व: पवित्र गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  2. शुभ कार्यों की शुरुआत: खरमास समाप्त होने के बाद विवाह और अन्य शुभ कार्य प्रारंभ होते हैं।
  3. पर्व का प्रतीक: यह दिन नकारात्मकता को समाप्त कर नई शुरुआत का प्रतीक है।

 

 

FAQ:

 

Q.1. Makar Sankranti kyun manate hain?
Ans: Makar Sankranti Surya dev ke Makar rashi me pravesh karne ke uplaksh me manai jati hai, jo shubh aur pavitra mana jata hai.

 

Q.2. Makar Sankranti 2025 kab hai?
Ans: Makar Sankranti 2025 ko 15 January ko manai jayegi.

 

Q.3. Makar Sankranti ke din kya-kya karna chahiye?
Ans: Is din Ganga snan, Surya puja, daan-punya aur patang udana shubh mana jata hai.

 

Q.4. Makar Sankranti ka pichle tewaron se kya farak hai?
Ans: Ye tyohaar Surya dev ke Uttarayan hone ka prateek hai, jabki baaki tyohaar grahon aur devtaon se jude hote hain.

 

Q.5. Makar Sankranti ke din kya-kya cheezein daan karni chahiye?
Ans: Til, gud, vastra aur dhan ka daan karna shubh hota hai.

 

Q.6. Makar Sankranti par khichdi kyun banai jati hai?
Ans: Khichdi shuddh aur pavitra bhojan mana jata hai, jo sankranti ke din shubh hota hai.

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