Alpha Trends / अनसुनी कहानियाँ / Chhath Puja इतिहास, धार्मिक मान्यताएं और सामाजिक महत्व

Chhath Puja इतिहास, धार्मिक मान्यताएं और सामाजिक महत्व

छठ पूजा भारत का एक प्रमुख लोक पर्व है, जो विशेष रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रचलित है। इस व्रत की महिमा और इसका पालन देश के साथ-साथ विदेशों में भी फैल चुका है, जहाँ इन क्षेत्रों के लोग बसे हुए हैं। यह व्रत न केवल सूर्य देवता की उपासना के लिए जाना जाता है, बल्कि इसमें कई पौराणिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संदेश भी निहित हैं। इस संपूर्ण विवरण में छठ पूजा के सभी पहलुओं को सरल रूप में प्रस्तुत किया गया है।

    Share on

urmila maurya written by :   Urmila Maurya

 

1. छठ पूजा में किन देवी-देवताओं की उपासना होती है?

इस व्रत में मुख्य रूप से सूर्य देवता की पूजा की जाती है, जिन्हें जीवन और ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। इनके साथ-साथ षष्ठी देवी (छठ मैया) की उपासना भी की जाती है।

  • षष्ठी माता को संतानों की रक्षा करने और उन्हें दीर्घायु प्रदान करने वाली देवी माना जाता है।
  • सूर्य देव की दो पत्नियाँ, उषा और प्रत्युषा, भी इस पूजा का हिस्सा हैं।
    • उषा का संबंध सुबह की पहली किरण से है।
    • प्रत्युषा संध्या की अंतिम किरण का प्रतीक हैं।

 

2. छठ मैया कौन हैं?

  • प्रकृति देवी का छठा अंश होने के कारण उन्हें षष्ठी देवी कहा गया है।
  • इन्हें ब्रह्मा की मानसपुत्री भी माना गया है।
  • पुराणों में इनका एक अन्य नाम कात्यायनी बताया गया है, जिनकी पूजा नवरात्रि के षष्ठी तिथि को भी होती है।
  • यह देवी संतानहीन दंपतियों को संतान प्रदान करती हैं और बच्चों की रक्षा करती हैं।

 

3. छठ व्रत की पौराणिक कथा

राजा प्रियव्रत और रानी मालिनी को कोई संतान नहीं थी। महर्षि कश्यप ने उन्हें पुत्रेष्टि यज्ञ करने का सुझाव दिया, जिसके फलस्वरूप रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन वह शिशु मृत था।

  • तब षष्ठी देवी प्रकट हुईं और उन्होंने उस बालक को जीवित कर दिया।
  • इस चमत्कार के बाद राजा ने उनकी स्तुति की और तभी से इस व्रत की परंपरा चली आ रही है।

 

4. धार्मिक ग्रंथों में सूर्य देवता की पूजा

  • हनुमान ने सूर्य देव से ही शिक्षा प्राप्त की थी।
  • रामायण में श्रीराम ने आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ करके रावण पर विजय पाई थी।
  • सांब, श्रीकृष्ण के पुत्र, ने सूर्य की आराधना से कुष्ठ रोग से मुक्ति पाई थी।
  • सूर्य देव की पूजा वैदिक काल से पहले से होती आई है।

 

5. सनातन धर्म में सूर्य देव का स्थान

  • सूर्य उन पंचदेवों में से एक हैं, जिनकी पूजा अनिवार्य मानी गई है।
  • अन्य चार देव हैं: गणेश, दुर्गा, शिव, और विष्णु
  • (स्रोत: मत्स्य पुराण)

 

6. सूर्य उपासना के लाभ

  • आयु, आरोग्य, धन-धान्य, संतान, यश और वैभव प्राप्त होते हैं।
  • उपासना करने वाले लोग दुख, दरिद्रता, रोग और अंधकार से मुक्त रहते हैं।
  • सूर्य को ब्रह्म का तेज माना जाता है और ये धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का भी वरदान देते हैं।

 

7. पवित्र नदियों के किनारे पूजा का महत्व

  • सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए जल का विशेष महत्व है।
  • पवित्र नदियों में स्नान और वहां से अर्घ्य देने की परंपरा प्रचलित है, लेकिन यह पूजा किसी भी स्वच्छ स्थान पर की जा सकती है।

 

8. भीड़ से बचकर घर में छठ पूजा कैसे करें?

  • हाल के वर्षों में लोग घर के आंगन या छतों पर भी छठ पूजा करने लगे हैं।
  • "मन चंगा तो कठौती में गंगा" की भावना से कहीं भी यह पूजा संपन्न की जा सकती है।

 

9. महिलाएँ ही छठ व्रत क्यों करती हैं?

  • महिलाएँ परिवार के कल्याण के लिए अधिक तप और त्याग करने में आगे रहती हैं।
  • हालांकि, इस पूजा को पुरुष और महिलाएँ दोनों कर सकते हैं, परंतु महिलाएँ इसे संतान की रक्षा और लंबी उम्र की कामना से विशेष रूप से करती हैं।

 

10. छठ पूजा में जाति और वर्ग का कोई भेदभाव नहीं

  • सूर्य देवता सभी पर समान रूप से कृपा करते हैं।
  • इस पूजा में जाति और वर्ग का कोई भेदभाव नहीं है।
  • प्रसाद अर्पित करने के लिए उपयोग होने वाले बांस के सूप और डाले समाज के पिछड़े वर्गों द्वारा बनाए जाते हैं, जो सामाजिक समरसता का संदेश देते हैं।

 

11. छठ व्रत का सामाजिक संदेश

  • इस व्रत में उगते और डूबते सूर्य दोनों की पूजा की जाती है, जो जीवन में हर स्थिति का सम्मान करने की शिक्षा देता है।
  • यह पूजा समाज में समानता और एकता का प्रतीक है।

 

12. बिहार और छठ पूजा का विशेष संबंध

  • बिहार में सूर्य और छठ मैया की पूजा की विशेष परंपरा है।
  • यहाँ का देव सूर्य मंदिर प्रसिद्ध है, जिसका मुख्य द्वार पश्चिम दिशा में है।
  • मान्यता है कि इसका निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया था।

 

13. साल में दो बार छठ पूजा

  • कार्तिक शुक्ल पक्ष में मुख्य छठ होती है।
  • इसके अलावा, चैत्र शुक्ल पक्ष में भी छठ पूजा की जाती है, जिसे चैती छठ कहते हैं।

 

14. छठ पूजा के चार दिन का क्रम

नहाय-खाय (चतुर्थी):

  • व्रती चावल, दाल और कद्दू का प्रसाद ग्रहण करते हैं।
  • यह व्रत के लिए शारीरिक और मानसिक तैयारी का दिन होता है।

खरना (पंचमी):

  • इस दिन शाम को गुड़ या गन्ने के रस से बनी खीर का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

अर्घ्य (षष्ठी):

  • डूबते सूर्य को जल से अर्घ्य देकर पूजा की जाती है।

पारण (सप्तमी):

  • उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का समापन होता है।

 

15. मन्नत के कारण कठिन साधना

  • कई लोग घाट तक बार-बार लेटकर जाते हैं, जिसे "कष्टी देना" कहा जाता है।
  • यह कठिन साधना अक्सर मन्नत पूरी होने पर की जाती है।

 

इस प्रकार, छठ पूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना का उत्सव है, जो समर्पण, एकता और शांति का संदेश देता है।

 

    Share on

Leave a comment

0 Comments