Alpha Trends / अनसुनी कहानियाँ / Durga Puja in Kolkata कोलकाता का दुर्गा पूजा भक्ति और संस्कृति का अद्भुत संगम

Durga Puja in Kolkata कोलकाता का दुर्गा पूजा भक्ति और संस्कृति का अद्भुत संगम

कोलकाता का दुर्गा पूजा केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक ऐसा उत्सव है जो समाज के हर वर्ग को एक साथ लाता है। हर साल, महालया के दिन से शुरू होने वाला यह उत्सव चार दिनों तक चलता है, और इस दौरान पूरा शहर रंगीन और खुशियों से भरा होता है। इस लेख में हम इस त्योहार का समृद्ध इतिहास, रीति-रिवाज़ और आधुनिक समारोहों को जानेंगे।

    Share on

urmila maurya written by :   Urmila Maurya

दुर्गा पूजा का इतिहास

प्रारंभ

दुर्गा पूजा की जड़ें बहुत पुरानी हैं। यह त्योहार माँ दुर्गा की विजय को महिषासुर पर दर्शाता है। पुराणों के अनुसार, माँ दुर्गा ने इस असुर को मारकर धरती को बचाया था। इस त्योहार की जड़ें पश्चिम बंगाल के ग्रामीण क्षेत्रों में मिलती हैं, जहाँ यह मुख्य रूप से कृषि समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन था।

आधुनिक युग में बदलाव

समय के साथ, दुर्गा पूजा ने अपना रूप बदला है। कोलकाता के शहरीकरण के साथ ही, यह त्योहार एक भव्य समारोह में बदल गया है। आज, पूरा शहर इस त्योहार के लिए तैयार होता है, जहाँ हर गली और मोहल्ले में अलग-अलग पंडाल बनाए जाते हैं।

दुर्गा पूजा के मुख्य आकर्षण

पंडाल सजावट

दुर्गा पूजा के पंडाल हर साल नए और नवीनतम डिज़ाइन के साथ सजते हैं। डिज़ाइनर और कारीगर अलग-अलग थीम पर काम करते हैं, जो स्थानीय संस्कृति, सामाजिक मुद्दों या समकालीन कला को दर्शाते हैं। कुछ पंडाल इतने बड़े और भव्य होते हैं कि उन्हें देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।

माँ दुर्गा की मूर्ति

माँ दुर्गा की मूर्तियाँ भी अलग-अलग रूप और शैली में होती हैं। उनकी सृजन में स्थानीय शिल्पकला का इस्तेमाल होता है, जो उन्हें और भी अद्भुत बनाता है। मूर्ति की कला और उनका रंग-रूप लोगों को आकर्षित करता है।

सांस्कृतिक कार्यक्रम

दुर्गा पूजा केवल पूजा तक सीमित नहीं है; इस दौरान भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं। नृत्य, संगीत, और नाटक जैसे कला का आनंद लेना इस त्योहार का एक अनिवार्य हिस्सा है। ये प्रदर्शन लोगों को एक साथ लाते हैं और सामाजिक मिलन का अहसास दिलाते हैं।

भोजन का स्वाद

दुर्गा पूजा के दौरान खाना भी एक बड़ी भूमिका निभाता है। बंगाली व्यंजन, जैसे मछेर झोल, शोरशी इलिश, और मिठाई, इस समय प्रसिद्ध होते हैं। लोग पंडालों में खाना खाने आते हैं और अपने दोस्तों और परिवार के साथ खुशियाँ बाँटते हैं।

अन्य रीति-रिवाज़

अंजलि और संधि पूजा

अंजलि, जो पूजा का एक आवश्यक हिस्सा है, इस दिन लोगों की भक्ति का प्रतीक होता है। संधि पूजा, जो दशमी के दिन होती है, उस दिन माँ का आवाहन और उनकी विसर्जन की तैयारी होती है। इस रीति का अपना ही महत्व है और यह लोगों के लिए एक अत्यंत भावुक समय होता है।

कोलकाता की महाकुंभ

दुर्गा पूजा के समय कोलकाता का माहौल अलग ही होता है। इस दौरान हर जगह खुशियों का माहौल होता है। रात को पंडालों की रोशनी और भजनों की धुन लोगों को बेहद आकर्षित करती है। यहाँ तक कि बाहर से आए हुए पर्यटक भी इस उत्सव का हिस्सा बनने के लिए बेताब होते हैं।

नए प्रयोग और प्रौद्योगिकी

आज के डिजिटल युग में, दुर्गा पूजा में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल भी बढ़ गया है। ऑनलाइन पूजा बुकिंग, लाइव स्ट्रीमिंग, और सोशल मीडिया पर पंडालों का प्रचार, सब कुछ इस त्योहार को और भी सुलभ बना रहा है। ये नए प्रयोग इस उत्सव को नई पीढ़ी से भी जोड़ने का काम करते हैं।

विश्व भर में दुर्गा पूजा

दुर्गा पूजा के विशेष क्षण केवल कोलकाता तक सीमित नहीं हैं; इस त्योहार का मानव प्रवाह विश्व भर में फैल चुका है। बांग्लादेश, नेपाल और यहाँ तक कि संयुक्त राज्य अमेरिका जैसी जगहों पर भी इस त्योहार को मनाया जाता है, जहाँ बंगाली समुदाय इस उत्सव को धूमधाम से सेलिब्रेट करता है।

निष्कर्ष

दुर्गा पूजा कोलकाता का एक ऐसा त्योहार है जो न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी रखता है। यह त्योहार हमें एक साथ मिलने का अवसर देता है, जहाँ हम अपनी भक्ति और संस्कृति को साथ-साथ मनाते हैं। इस उत्सव का अनुभव लेना एक अद्भुत अनुभव होता है, जो हमारे दिल में हमेशा याद रहेगा।

 

    Share on

Leave a comment

0 Comments