Dhordo Village बेस्ट टूरिज्म विलेज की अद्भुत कहानी और क्या है इसकी खासियत?
भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित गुजरात के कच्छ जिले का धोरडो गांव, अपनी अनोखी परंपरा और सुंदरता के लिए जाना जाता है। यह गांव हाल ही में संयुक्त राष्ट्र वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गनाइजेशन (UNWTO) द्वारा 'बेस्ट टूरिज्म विलेज' घोषित किया गया है, जिससे इसे अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है।
- Alpha Trends
- Updated : October 23, 2024 23:10 IST
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पारंपरिक भुंगा (गोल घर): पर्यटकों का आकर्षण
धोरडो गांव में आज भी पारंपरिक भुंगा (गोल घर) मौजूद हैं। इन घरों की अद्वितीय वास्तुकला पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय है। मिट्टी और घास-फूस से बने ये गोल घर, रेगिस्तानी क्षेत्र में गर्मी से बचाने और ठंडक बनाए रखने का बेहतरीन उदाहरण हैं।
रण उत्सव: धोरडो की विश्व प्रसिद्ध पहचान
धोरडो गांव हर साल नवंबर से फरवरी तक चलने वाले कच्छ रण उत्सव के आयोजन के लिए प्रसिद्ध है। इस दौरान यहां टेंट सिटी बनाई जाती है, जिसमें हजारों पर्यटक ठहरते हैं और कच्छ के सफेद रेगिस्तान का सर्दियों में लुत्फ उठाते हैं। ऊंट की सवारी, चांदनी रात की सैर, स्थानीय हस्तकला और वास्तुकला की अद्भुत कृतियां इस उत्सव के खास आकर्षण हैं।
2001 का भूकंप और धोरडो का पुनर्निर्माण
धोरडो गांव 23 साल पहले, 2001 में आए भूकंप में तबाह हो गया था। लेकिन इस विनाश के बाद, गुजरात सरकार और स्थानीय लोगों के प्रयासों ने इसे फिर से खड़ा किया। कच्छ रण उत्सव ने न केवल इस गांव की पहचान बनाई, बल्कि इसे पर्यटन मानचित्र पर एक नई ऊंचाई दी।
धोरडो गांव की प्रमुख विशेषताएं
- स्थान: यह गांव कच्छ के रण में, भुज से करीब 86 किलोमीटर दूर स्थित है।
- जनसंख्या: लगभग 1000 लोग।
- विशेषता: रण उत्सव के दौरान धोरडो में ऊंट की सवारी, सफेद रेगिस्तान की चांदनी रात में सैर, और स्थानीय हस्तकला की कृतियां देखने को मिलती हैं।
बेस्ट टूरिज्म विलेज की मान्यता
धोरडो को 2023 में संयुक्त राष्ट्र वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गनाइजेशन (UNWTO) द्वारा बेस्ट टूरिज्म विलेज के रूप में मान्यता मिली। यह गांव दुनिया के 54 प्रमुख पर्यटन गांवों में शामिल है, जिसने न केवल इसकी तस्वीर बदली, बल्कि इसकी तकदीर भी।