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Headline पूर्णागिरी धाम श्रद्धा और आस्था का अद्भुत संगम

उत्तराखंड की सुरम्य वादियों में स्थित पूर्णागिरी धाम हिंदू धर्म के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। इसे "सिद्धपीठ" भी कहा जाता है, जहाँ माता... Read More

उत्तराखंड की सुरम्य वादियों में स्थित पूर्णागिरी धाम हिंदू धर्म के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। इसे "सिद्धपीठ" भी कहा जाता है, जहाँ माता सती के शरीर का एक हिस्सा गिरा था। इस मंदिर की धार्मिक महत्ता इतनी अधिक है कि भक्तजन दूर-दूर से पैदल यात्रा कर माता के दर्शन के लिए आते हैं।

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s b maurya Author :   S B Maurya

उत्तराखंड की सुरम्य वादियों में स्थित पूर्णागिरी धाम हिंदू धर्म के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। इसे "सिद्धपीठ" भी कहा जाता है, जहाँ माता सती के शरीर का एक हिस्सा गिरा था। इस मंदिर की धार्मिक महत्ता इतनी अधिक है कि भक्तजन दूर-दूर से पैदल यात्रा कर माता के दर्शन के लिए आते हैं।

 

पूर्णागिरी धाम का ऐतिहासिक महत्व

पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब भगवान शिव माता सती के जलते हुए शरीर को लेकर आकाश मार्ग में जा रहे थे, तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता के शरीर के टुकड़े कर दिए थे। माना जाता है कि माता का नाभि भाग इस स्थान पर गिरा था, जिससे यह स्थान शक्तिपीठ बना।

 

कैसे पहुँचे पूर्णागिरी धाम?

1. हवाई मार्ग

सबसे नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर एयरपोर्ट है, जो लगभग 130 किलोमीटर दूर है।

2. रेल मार्ग

टनकपुर रेलवे स्टेशन सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है, जो पूर्णागिरी धाम से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित है।

3. सड़क मार्ग

टनकपुर से पूर्णागिरी धाम के लिए बस और टैक्सी सेवाएँ उपलब्ध हैं। मंदिर तक पहुँचने के लिए टनकपुर से 17 किलोमीटर तक वाहन से यात्रा करनी होती है और फिर लगभग 3 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई करनी पड़ती है।

 

पूर्णागिरी यात्रा का अनुभव

पूर्णागिरी धाम की यात्रा भक्तों के लिए किसी आध्यात्मिक सफर से कम नहीं होती। जैसे-जैसे श्रद्धालु ऊँचाई पर पहुँचते हैं, उन्हें चारों तरफ का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। मंदिर के पास स्थित "टकटोपानी" नामक स्थान भी काफी प्रसिद्ध है, जहाँ श्रद्धालु स्नान करके अपनी यात्रा प्रारंभ करते हैं।

 

पूर्णागिरी धाम में विशेष पर्व और मेले

चैत्र नवरात्रि मेला

  •  हर साल मार्च-अप्रैल में यहाँ विशाल मेला लगता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन करने आते हैं।

शारदीय नवरात्रि

  • अक्टूबर-नवंबर में भी यहाँ विशेष अनुष्ठान होते हैं, जिनमें भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

 

पूर्णागिरी में रुकने और खाने की सुविधा

मंदिर के पास कई धर्मशालाएँ और छोटे होटल उपलब्ध हैं। साथ ही, स्थानीय भोजनालयों में शुद्ध शाकाहारी भोजन मिलता है।

 

पूर्णागिरी धाम जाने के लिए सर्वश्रेष्ठ समय

हालाँकि, मंदिर सालभर खुला रहता है, लेकिन मार्च से जून और सितंबर से नवंबर के बीच यात्रा करना अधिक अनुकूल होता है। मानसून के समय यहाँ जाना कठिन हो सकता है।

 

पूर्णागिरी धाम में आस्था का चमत्कार

कहा जाता है कि जो भी श्रद्धालु यहाँ सच्चे मन से माँ की आराधना करता है, उसकी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। भक्तजन यहाँ नारियल, चुनरी और फूल अर्पित करके माता से आशीर्वाद लेते हैं।

 

FAQs (Frequently Asked Questions)

 

Q.1. Purnagiri Mandir kaise jaye?
Ans: Purnagiri Mandir pahunchne ke liye pehle Tanakpur ana hota hai, wahan se gaadi se 17 km aur fir 3 km ki trekking karni hoti hai.

 

Q.2. Purnagiri dham ki yatra kab best hoti hai?
Ans: March se June aur September se November ke beech jaana sabse accha hota hai, kyunki tab mausam suhana rehta hai.

 

Q.3. Purnagiri Mandir kis liye famous hai?
Ans: Yeh ek prachin Shaktipeeth hai, jisme kaha jata hai ki Maa Sati ka nabhikand yahan gira tha, is wajah se ye dharmik roop se bahut mahatvapurn hai.

 

Q.4. Purnagiri dham me kya-kya suvidhaye uplabdh hain?
Ans: Yahan par chhoti-moti dharamshala aur bhojanalay milte hain jisme sadharan shuddh shakahari bhojan uplabdh hota hai.

 

Q.5. Kya Purnagiri Mandir tak gaadi se ja sakte hain?
Ans: Nahi, aapko sirf Tanakpur tak gaadi se jaana hoga, wahan se 3 km ki chadhai paidal hi karni hoti hai.

 

Q.6. Kya Purnagiri dham me koi special festival hota hai?
Ans: Haan, yahan par har saal Chaitra Navratri Mela aur Sharadiya Navratri Pooja hoti hai, jo kaafi prasiddh hai.

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